Hello Bloggers, आप सभी का Health Wealth Funda Blog मे स्वागत है | इस लेख मे हम Intermittent Fasting Workout Plan के बारे मे विस्तार से सीखेँगे |
इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) आज के समय में वजन घटाने, फिट रहने और ओवरऑल लाइफस्टाइल सुधारने का एक बेहद प्रभावी और लोकप्रिय तरीका बन चुका है। भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लोग इसे इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह सिंपल, फ्लेक्सिबल और लॉन्ग-टर्म फॉलो करने योग्य है। हालांकि, बहुत से लोग यह गलती कर बैठते हैं कि वे इंटरमिटेंट फास्टिंग को सिर्फ एक डाइट समझ लेते हैं। सच्चाई यह है कि सही वर्कआउट प्लान के बिना इंटरमिटेंट फास्टिंग के पूरे फायदे नहीं मिलते।
जब सही समय पर सही एक्सरसाइज़ और संतुलित न्यूट्रिशन को IF के साथ जोड़ा जाता है, तब फैट लॉस तेज़ होता है, मसल्स सुरक्षित रहती हैं और शरीर ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करता है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि Intermittent Fasting के साथ वर्कआउट कैसे करें, कब करें, कितनी मात्रा में करें और किन बातों का ध्यान रखें, ताकि आपको सुरक्षित और स्थायी रिज़ल्ट मिल सकें।
Intermittent Fasting Workout Plan
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
Intermittent Fasting एक ऐसा ईटिंग पैटर्न है जिसमें खाने और न खाने का समय पहले से तय किया जाता है। इसमें यह ज़रूरी नहीं होता कि आप कौन-सी डाइट फॉलो कर रहे हैं, बल्कि यह ज़्यादा मायने रखता है कि आप किस समय पर खाना खा रहे हैं और कितनी देर तक फास्टिंग कर रहे हैं। यही कारण है कि IF को एक लाइफस्टाइल माना जाता है, न कि केवल एक डाइट प्लान।
इस पैटर्न में शरीर को लंबे समय तक इंसुलिन लेवल कम रखने का मौका मिलता है, जिससे शरीर जमा हुई चर्बी को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करता है। यही फैट लॉस का मुख्य कारण है।
सबसे ज़्यादा लोकप्रिय IF पैटर्न:
* 16:8 – 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने की विंडो। यह सबसे ज़्यादा फॉलो किया जाने वाला और सबसे बैलेंस्ड पैटर्न है।
* 14:10 – शुरुआती लोगों के लिए सुरक्षित और आसान, खासकर उनके लिए जो पहली बार फास्टिंग शुरू कर रहे हैं।
* 18:6 – एडवांस लेवल का पैटर्न, जब शरीर IF का आदी हो जाए और एनर्जी लेवल स्थिर रहने लगे।
सही वर्कआउट टाइमिंग के साथ IF करने से फैट बर्न तेज़ होता है, मसल लॉस कम होता है, हार्मोन बैलेंस बेहतर होता है और शरीर का एनर्जी लेवल पूरे दिन संतुलित रहता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग में वर्कआउट करने का सही समय
वर्कआउट का सही समय चुनना इंटरमिटेंट फास्टिंग में सबसे अहम भूमिका निभाता है। अगर टाइमिंग सही नहीं होगी, तो कमजोरी, थकान या मसल लॉस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए आपको अपने शरीर के सिग्नल्स को समझना और उसी के अनुसार वर्कआउट प्लान बनाना ज़रूरी है।

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अब आप लोगो को Intermittent Fasting Workout Plan के बारे मे थोड़ा सा ज्ञान हो चुका है | आइये आपको बताता हूँ Intermittent Fasting Workout Plan के बारे मे जानकर आपको लाभ मिलेगा |
Intermittent Fasting Workout Plan
1️⃣ फास्टिंग स्टेट में वर्कआउट (Morning Workout)
सबसे अच्छा फैट बर्न टाइम माना जाता है
फास्टिंग स्टेट में इंसुलिन लेवल कम होता है, जिससे शरीर एनर्जी के लिए सीधे फैट स्टोर्स का इस्तेमाल करता है। यही वजह है कि इस समय किया गया वर्कआउट फैट लॉस के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। हालांकि, इस दौरान बहुत ज़्यादा हैवी एक्सरसाइज़ से बचना चाहिए।
✔ ब्रिस्क वॉकिंग या नॉर्मल वॉक
✔ हल्की कार्डियो एक्सरसाइज़
✔ योग, सूर्य नमस्कार और प्राणायाम
✔ बॉडीवेट एक्सरसाइज़ जैसे स्क्वाट, पुश-अप और लंजेस
⏰ समय: सुबह 6–9 बजे
> नोट: अगर चक्कर आना, ज़्यादा थकान, सिर दर्द या कमजोरी महसूस हो तो तुरंत वर्कआउट रोक दें और अगली बार इंटेंसिटी कम रखें।
2️⃣ फीडिंग विंडो में वर्कआउट (Strength Training)
अगर आपका लक्ष्य सिर्फ वजन घटाना नहीं बल्कि मसल बनाना, बॉडी को टोन करना और स्ट्रेंथ बढ़ाना है, तो फीडिंग विंडो में वर्कआउट करना ज़्यादा बेहतर रहता है। इस समय शरीर को पहले से प्रोटीन और कार्ब्स मिल चुके होते हैं, जिससे वर्कआउट परफॉर्मेंस बेहतर होती है और मसल रिकवरी भी तेज़ होती है।
✔ वेट ट्रेनिंग
✔ HIIT वर्कआउट
✔ मसल बिल्डिंग और रेज़िस्टेंस एक्सरसाइज़
⏰ समय: पहला मील खाने के 1–2 घंटे बाद
यह समय मसल रिकवरी, स्ट्रेंथ बढ़ाने, हार्मोन बैलेंस और इंजरी से बचाव के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग वर्कआउट प्लान (Weekly)
नीचे दिया गया वीकली वर्कआउट प्लान बिगिनर से लेकर इंटरमीडिएट लेवल के लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया है। अगर आप शुरुआत कर रहे हैं, तो कम रिपीटेशन से शुरू करें और धीरे-धीरे इंटेंसिटी बढ़ाएं।
🗓 Day 1 – फुल बॉडी वर्कआउट
* स्क्वाट – 3 सेट (12–15 रेप्स)
* पुश-अप – 3 सेट
* प्लैंक – 30–40 सेकंड × 3
* जंपिंग जैक – 2–3 मिनट
यह दिन पूरे शरीर की मसल्स को एक्टिव करने और मेटाबॉलिज़्म को बूस्ट करने के लिए होता है।
🗓 Day 2 – कार्डियो + एब्स
* ब्रिस्क वॉक / रन – 20–30 मिनट
* लेग रेज़ – 3 सेट
* क्रंचेस – 3 सेट
* माउंटेन क्लाइंबर – 1–2 मिनट
यह वर्कआउट पेट की चर्बी कम करने और स्टैमिना बढ़ाने में मदद करता है।
🗓 Day 3 – रेस्ट या योग
* सूर्य नमस्कार (8–12 राउंड)
* प्राणायाम और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़
* हल्की स्ट्रेचिंग और मोबिलिटी मूव्स
रेस्ट डे मसल रिकवरी, स्ट्रेस कम करने और हार्मोन बैलेंस के लिए बेहद ज़रूरी होता है।
🗓 Day 4 – अपर बॉडी वर्कआउट
* पुश-अप
* डम्बल प्रेस
* शोल्डर प्रेस
* बाइसेप कर्ल
* ट्राइसेप डिप्स
यह दिन चेस्ट, शोल्डर, आर्म्स और अपर बॉडी स्ट्रेंथ पर फोकस करता है।
🗓 Day 5 – लोअर बॉडी वर्कआउट
* स्क्वाट
* लंजेस
* काफ रेज़
* ग्लूट ब्रिज
* वॉल सिट – 30–60 सेकंड
लोअर बॉडी वर्कआउट से कैलोरी बर्न ज़्यादा होती है और फैट लॉस तेज़ होता है।
🗓 Day 6 – HIIT वर्कआउट (15–20 मिनट)
* हाई नीज़
* माउंटेन क्लाइंबर
* बर्पीज़
* स्पॉट जॉगिंग
* जंप स्क्वाट
HIIT वर्कआउट कम समय में ज़्यादा कैलोरी और फैट बर्न करने में मदद करता है।
🗓 Day 7 – पूरा आराम
इस दिन शरीर को पूरी तरह से रिकवर होने दें। हल्की वॉक या स्ट्रेचिंग कर सकते हैं।
इंटरमिटेंट फास्टिंग में क्या खाएं (वर्कआउट के साथ)
वर्कआउट के साथ सही खानपान बहुत ज़रूरी है, ताकि कमजोरी न आए और शरीर को रिकवरी के लिए ज़रूरी पोषक तत्व मिलते रहें। IF में क्वालिटी फूड पर ध्यान देना बेहद महत्वपूर्ण है।
✔ प्रोटीन: दाल, पनीर, अंडे, चिकन, मछली, दही
✔ हेल्दी फैट: मूंगफली, बादाम, अखरोट, बीज, घी
✔ कॉम्प्लेक्स कार्ब्स: ब्राउन राइस, ओट्स, फल, हरी सब्ज़ियां
💧 दिन भर में 2.5 से 3 लीटर पानी ज़रूर पिएं। आप ग्रीन टी या ब्लैक कॉफी (बिना शक्कर) भी ले सकते हैं।
IF वर्कआउट के फायदे
✅ तेजी से और स्थायी फैट लॉस
✅ मेटाबॉलिज़्म और डाइजेशन में सुधार
✅ मसल लॉस कम होना और स्ट्रेंथ बढ़ना
✅ एनर्जी, फोकस और प्रोडक्टिविटी बेहतर होना
✅ इंसुलिन सेंसिटिविटी और हार्मोन बैलेंस में सुधार
जरूरी टिप्स जो आपको ध्यान में रखने चाहिए
* शुरुआत हमेशा आसान IF पैटर्न से करें
* पर्याप्त नींद लें (7–8 घंटे)
* ओवरट्रेनिंग से बचें और रेस्ट डे को गंभीरता से लें
* धीरे-धीरे वर्कआउट की तीव्रता और समय बढ़ाएं
* अपने शरीर के सिग्नल्स को कभी नज़रअंदाज़ न करें
दोस्तों, अब आपके इस लेख के अंत मे Intermittent Fasting Workout Plan को लेकर सभी Doubt Clear हो गए हैं |
निष्कर्ष
अगर सही प्लानिंग, सही टाइमिंग और अनुशासन के साथ किया जाए तो Intermittent Fasting + Workout Plan न केवल वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि आपको एक हेल्दी, एक्टिव और बैलेंस्ड लाइफस्टाइल की ओर भी ले जाता है। सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप धैर्य रखें, कंसिस्टेंट रहें और अपने शरीर को बदलाव के लिए पूरा समय दें।
FAQ’s
इंटरमिटेंट फास्टिंग से 20 किलो वजन कैसे कम करें?
आहार और व्यायाम दिनचर्या
जो लोग नहीं जानते, उन्हें बता दें कि OMAD (वन मील ए डे) डाइट एक आंतरायिक उपवास पद्धति है, जिसमें व्यक्ति एक घंटे के भीतर अपनी सभी दैनिक कैलोरी का उपभोग कर लेते हैं, और शेष 23 घंटे उपवास करते हैं । यह विधि वजन घटाने, चयापचय स्वास्थ्य में सुधार और भोजन योजना को सरल बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के साथ टाइम वर्कआउट कैसे करें?
आंतरायिक उपवास के दौरान व्यायाम करने का सबसे अच्छा समय आमतौर पर जागने के तुरंत बाद या उसके तुरंत बाद होता है, ताकि शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय बनी रहे। अध्ययनों से पता चलता है कि सोने के समय के बहुत करीब व्यायाम (या भोजन) करने से गहरी और REM नींद के स्तर में बाधा आ सकती है, इसलिए व्यायाम को अगले दिन के लिए बचाकर रखना बेहतर है।
क्या शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक उपवास काम करता है?
जी हाँ, शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक उपवास करने से वज़न कम होता है और चयापचय स्वास्थ्य में सुधार होता है । शोध से पता चलता है कि जो लोग शाम 7 बजे तक खाना बंद कर देते हैं और सुबह 7 बजे तक दोबारा कुछ नहीं खाते, वे वज़न कम कर सकते हैं, पेट की चर्बी कम कर सकते हैं और अपने रक्त शर्करा के स्तर में सुधार कर सकते हैं।
आंतरायिक उपवास के लिए 30/30/30 नियम क्या है?
यह विधि – जिसमें जागने के 30 मिनट के भीतर 30 ग्राम प्रोटीन खाने और उसके बाद 30 मिनट तक कम तीव्रता वाला व्यायाम करने को बढ़ावा दिया जाता है – को फेरिस और ब्रेका ने शरीर की चर्बी कम करने और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने का एक सरल तरीका बताया है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान वर्कआउट के बाद क्या खाना चाहिए?
यदि आप अपने उपवास के दौरान शक्ति प्रशिक्षण कर रहे हैं, तो प्रोटीन और प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट से भरपूर , संतुलित पोस्ट-वर्कआउट भोजन का सेवन करने की योजना बनाएं, ताकि विकास और पुनर्प्राप्ति दोनों के संदर्भ में मांसपेशियों को सहारा मिल सके।
